लोकतंत्र में प्रतिस्पर्द्धा एवं संघर्स – Bihar Board Class 10th Social Science Subjective Question-answer 2023

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. जनसंघर्ष अथवा जनआंदोलन का क्या अर्थ है ?  

उत्तर – जनसंघर्ष अथवा जनआंदोलन का अर्थ जनता द्वारा कुछ निश्चित बातों या स्थितियों से असंतुष्ट रहने पर सत्ता के विरुद्ध किया जानेवाला संघर्ष है | 

2. हित-समूह किसे कहा जाता है ? 

उत्तर – किसी विशेष वर्ग या समूह के हितों को बढ़ावा देनेवाले संगठन को हित-समूह कहा जाता है | 

3. राजनीतिक दल की परिभाषा दें | 

उत्तर – राजनीतिक दल वैसे लोगों का संगठन है जो स्वेच्छा से वैसे सिद्धांतो, जिनपर वे एकमत हों, संगठित होते हैं और उनकी प्राप्ति के लिए सरकार बनाने और सरकार को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं | 

4. दलीय पद्धति के कितने प्रकार हैं ? उदाहरण लिखें | 

उत्तर – दलीय पद्धति के तीन प्रकार हैं – एकदलीय, द्विदलीय एवं बहुदलीय | एक-दलीय पद्धति का उदाहरण चीन है | द्विदलीय पद्धति के उदहारण ब्रिटेन एवं अमेरिका हैं | बहुदलीय पद्धति के उदाहरण भारत, फ्रांस, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि हैं | 

5. गुप्त मतदान पत्र क्या है ? 

उत्तर – मतदान पत्र वह दस्तावेज है जिससे मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं | अगर इसे गुप्त रूप से व्यवहार में लाया जाए तो इसे ‘गुप्त मतदान पत्र’ कहते हैं | 

6. दल-बदल कानून क्या है ? 

उत्तर – सांसदों और विधायकों के दल-बदल को रोकने के लिए संविधान का 52वाँ संशोधन अधिनियम ‘दल-बदल कानून’ कहलाता है | 

7. बिहार में हुए छात्र-आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे ? 

उत्तर – मार्च 1974 में बिहार में हुए छात्र-आंदोलन के प्रमुख कारण थे – बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, खाद्यान्न की कमी और कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि | 

8. राजनीतिक दलों के किन्हीं छ: कार्यों का वर्णन करें | 

उत्तर –  

  1. दो चुनावों के बीच सत्तारूढ़ दल पर नियंत्रण रखना | 
  2. जनता की शिकायतों को सरकार के समक्ष रखना | 
  3. कानून-निर्माण में सदन में पहत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना | 
  4. सरकार के साथ सदरात्मक कदम उठाकर देश के विकास में सहायता करना तथा लोकतंत्र को सफल बनाना | 
  5. निर्वाचन में भाग लेकर सरकार गठन करना | 
  6. जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देना | 

9. राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर – राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेते हैं, उम्मीदवार खड़े करते हैं तथा चुनाव में जीत हासिल करने पर सरकार का निर्माण करते हैं | ये जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देते हैं | साथ ही, सत्ताधारी दल के विपक्ष में रहनेवाली पार्टियाँ सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करके उचित मार्गदर्शन प्रदान करती हैं | राजनीतिक दलों के बिना हम लोकतंत्र की कल्पना कर ही नहीं सकते | यही कारण है कि राजनीतिक दलों को ‘लोकतंत्र का प्राण’ कहा जाता है | 

10. राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं ? 

उत्तर – निर्वाचन आयोग के द्वारा राजनीतिक दलों के स्तर का निर्धारण किया जाता है | इनमें कुछ राष्ट्रीय दल होते हैं | राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्ते पूरी करनी पड़ती हैं | 

  1. लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कुल डाले गए वैध मतों का 6 प्रतिशत मत प्राप्त करना आवश्यक है | 
  2. साथ ही, किसी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में चार सीटों पर विजयी होना आवश्यक है | अथवा, लोकसभा में कम-से-कम तीन राज्यों से 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त करना आवश्यक है |  

11. दबाव-समूह से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर – दबाव-समूह ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जो कुछ विशेष लाभ के लिए आपस में बंधे होते हैं | उन्हीं समूहों को दबाव-समूह कहा जा सकता है जिनमें संगठन है, जिनमें विशेष कार्यकर्ता होते हैं, जिनके सामाजिक एवं राजनीतिक उद्देश्य स्पष्ट रूप से सुनिश्चित होते हैं | दबाव-समूह का अर्थ है – “यह कुछ व्यक्तियों का ऐसा समूह है, जो मान्य एवं सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सरकार से कुछ माँगें करके सामान्य नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करता है |” 

12. सूचना का अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? 

उत्तर – सूचना का अधिकार आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य ये थे – सरकार के क्रियाकलाप की जानकारी प्राप्त करना, सरकार के क्रियाकलाप पर नियंत्रण रखना, सरकारी कर्मचारियों एवं सरकार के कार्यों का सार्वजनीकरण करना तथा सत्ता में भागीदारी करना | 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

  1. राजनीतिक दल किस प्रकार राष्ट्रीय विकास में योगदान करते हैं ? 

उत्तर – राजनीतिक दलों की व्यापक पहुँच जनता में होती है | ये सरकार में भी सहयोगी या विरोधी की भूमिका में होते हैं | इस रूप में ये सरकार में और जनता के बीच कड़ी का काम करते हैं | जनता की इच्छा और भावना से सरकार को अवगत कराकर और सरकार के कार्यों की जानकारी जनता तक पहुँचाकर ये सरकार के प्रति जनसमर्थन और सहयोग सुनिश्चित करते हैं | इससे राजनीतिक स्थिरता आती है और सरकार प्रभावशाली होती है जो किसी देश के विकास के लिए आवश्यक है | 

    राजनीतिक दल विकास की नीति के प्रति समर्थन और सहयोग तथा प्राथमिकताओं पर सहमति और विरोध में सामंजस्य स्थापित करते हैं | जनता में जागरूकता, एकता, विकास की चेतना उत्पन्न करना राजनीतिक दलों का दायित्व होता है | ये भारत जैसे देश में विविधताओं के बीच सामंजस्य स्थापित कर तथा विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देकर राष्ट्रीय विकास में योगदान करते हैं | 

2. बिहार में 1974 में हुए छात्र-आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे ? 

उत्तर – 1971 के लोकसभा चुनावों के उपरांत लोगों ने महसूस किया कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई है | 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ, परंतु बंगलादेशी शरणार्थियों की समस्या ने इस स्थिति को और भी भयावह बना दिया | वेरोजगारी, खाद्यान्न का अभाव, दैनिक जीवन की सभी वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो गई | अनाज की कीमतें आसमान छूने लगीं | ऊपर से सरकार की दमनकारी नीतियों ने अधिनायकवादी व्यवस्था का रूप लि लिया | जनता की बेचैनी दिनानुदिन बढ़ती चली गई | बिहार में इस अकुलाहट का प्रतिनिधित्व यहाँ के छात्रों ने किया | इन्हीं कारणों से बिहार में 1974 में छात्र-आंदोलन प्रारंभ हो गया | जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया | 

3. ‘चिपको आंदोलन’क्या है ? अगर आपके आसपास के किसी पेड़ को कोई काटता है तो आप क्या करेंगे ? 

उत्तर – ‘चिपको आंदोलन’ वर्तमान उत्तराखंड में किया गया आंदोलन है | उत्तराखंड में वन विभाग के अधिकारीयों ने व्यवसायियों को अपने व्यवसाय के लिए वन के भूखंड आवंटित कर उन्हें पेड़ कटाने की इजाजत दे दी थी, जबकि स्थानीय लोगों को ऐसा करने से मनाही कर दी गई थी | इसके विरोध में निकट के गाँववालों ने आंदोलन कर दिया की व्यवसायिक आधार पर पेड़ो की कटाई का कोई औचित्य नहीं है | इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों ने एक अनूठा तरीका अपनाया | वे पेड़ो को कटाने से पहले ही उनसे चिपक जाते थे जिससे पेड़ की कटाई संभव नहीं हो सके | इसी कारण इस आंदोलन का नाम ‘चिपक आंदोलन’ पड़ा | इस आंदोलन में पेड़ो की कटाई को रोकने के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने कृषि-कार्य के औजार के निर्माण हेतु ‘अंगू’ नामक पेड़ की कटाई की इजाजत भी माँगी जिसे वन के अधिकारियों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया | इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ गई | स्थानीय लोगों ने इस आंदोलन को जनसंघर्ष का रूप दे दिया | फलस्वरूप, सरकार को झुकने के लिए बाध्य होना पड़ा | सरकार द्वारा 15 वर्षों के लिए हिमालयीय क्षेत्र में वनों की कटाई पर रोक लगा दी गई | 

          यदि हमारे आसपास भी कोई पेड़ो की कटाई का प्रयास करता है तो पहले हम पेड़ो की उपयोगिता से उसे अवगत कराने का प्रयास करेंगे | फिर, कुछ लोग पेड़ो से चिपकने का प्रयास करेंगे जिससे उसकी कटाई में बाधा उपस्थित हो | इससे भी यदि बाद नहीं बनती हो तो संबंधित वन अधिकारी या उच्चाधिकारी से शिकायत कर कानूनन उसे रोकने का प्रयास करेंगे | 

4. राजनीतिक दल किस तरह सत्ता में साझेदारी करते हैं ? 

उत्तर – लोकतंत्र राजनीतिक दलों द्वारा क्रियान्वित होनेवाली शासन व्यवस्था है | ये सत्ता में सबसे प्रबल साझेदार होते हैं | इनकी समस्त भूमिका ही सत्ता में साझेदारी की है | 

  1. अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों के अनुरूप जनता का प्रशिक्षण एवं जनसमर्थन प्राप्त कर ये सत्ता के प्रमुख भागीदार बनते हैं | 
  2. राजनीतिक दल सत्ता के सशक्त दावेदार के रूप में निर्वाचन प्रक्रिया में भागदारी होते हैं | 
  3. ये बहुमत प्राप्त कर सरकार का गठन करते हैं और निर्णय केंद्र के रूप में सरकार की समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हैं | 
  4. विरोधी दल की भूमिका में ये सत्ता और सरकार की नीतियों एवं निर्णयों की आलोचना करते हैं | उसपर व्यापक बहस के लिए ये उसे जनता के बीच ले जाते हैं और सरकार पर दबाव डालते हैं | 
  5. ये जनता और सरकार, प्रशासन एवं नौकरशाही तथा जनता के बीच संपर्क का प्रमुख माध्यम बनकर राजनीतिक प्रक्रिया के भागीदार बने रहते हैं | 
  6. स्थानीय शासन में प्रतिनिधियों का समर्थन करके सहयोग के द्वारा भी स्थानीय राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी करते हैं | 

5. राजनीतिक दलों के किन्हीं छह कार्यों का वर्णन करें | 

उत्तर – राजनीतिक दल को लोकतंत्र का प्राण कहा गया है | राजनीतिक दलों को सरकार का चतुर्थ अंग भी कहा जाता है | प्रतिनिधिक लोकतंत्र को राजनीतिक दल ही व्यवहारिक रूप देते हैं | लोकतंत्र में राजनीतिक दल निम्नांकित छह महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं जिनमे चार मुख्य हैं | 

  1. जनता को शिक्षित करना – आज का राजनीतिक जीवन बहुत जटिल हो गया है | आम जनता को राजनीति का ज्ञान होना जरुरी है | राजनीतिक मामलों में जनता को शिक्षित करने का काम राजनीतिक दल ही करते हैं | वे अपने कार्यक्रम, नीति और दृष्टिकोण जनता के सामने रखते हैं | इससे जनता को राजनीतिक शिक्षा मिलती है | 
  2. जनमत का निर्माण – राजनीतिक दल जनमत का भी नार्मन करते हैं | जनता के सामने अपने कार्यकर्म रखते हैं | इससे जनता देश की राजनीतिक समस्याओं पर अपना मत निश्चित कर पाती है | लोकतंत्र में जनमत का बहुत महत्त्व है | 
  3. निर्वाचन में भाग लेना – राजनीतिक दलों का सबसे प्रमुख कार्य चुनाव में भाग लेना है चुनाव लड़ने के लिए वे अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं | जिस राजनीतिक सल मत के अधिक लोग निर्वाचित होकर आते हैं उसी की सरकार बनाती है | 
  4. शासन चलाना – राजनीतिक दल देश के शासन में मुख्य रूप से भाग लेते हैं | जिस राजनीतिक दल की सरकार बनती है उसे सत्तारूढ़ दल कहा जाता है | सत्तारूढ़ दल की बैठक में ही सरकार की महत्त्वपूर्ण नीतियों का निर्धारण होता है | लोकतांत्रिक सरकार को राजनीतिक दल की सरकार के नाम से भी पुकार जाता है | 
  5. जनता और सरकार के बीच कड़ी का काम करना – ये जनता की माँगों एवं इच्छाओं को सरकार के सामने लाते हैं तथा उन्हें क्रियान्वित करवाते हैं साथ ही, सरकार को कामों की जानकारी जनता तक पहुँचकर दोनों के बीच कड़ी का काम करते हैं | 
  6.  विरोधी दल के रूप में – ये विरोधी दल रूप में सरकार की नीतियों एवं कार्यों की आलोचना करते हैं | गलत नीतियों का विरोध कर सरकार पर नियंत्रण रखते हैं |  

6. लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल क्यों आवश्यक हैं ? 

उत्तर – राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला हैं | ये उत्तरदायी शासन के परमावश्यक अंग हैं | राजनीतिक दलों की बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं हो सकती | जहाँ राजनीतिक दलों को काम करने की स्वतंत्रता नहीं होती तथा जहाँ एक ही राजनीतिक दल होता है, वहाँ स्वतंत्रता का अभाव होता है | इसीलिए, राजनीतिक दलों को ‘लोकतंत्र का प्राण’ कहा गया है | राजनीतिक दलों की सरकार का चतुर्थ अंग कहा जाता है | प्रतिनिधिक प्रजातंत्र की सफलता राजनीतक दलों पर ही निर्भर होती है | राजनीतिक दल प्रतिनिधियों के निर्वाचन में भग लेते हैं | फाइनर के अनुसार, “दलों के बिना मतदाता या तो नपुंसक हो जाएँगे या विनाशकारी , जो ऐसी असंभव नीतियों का अनुगमन करेंग, जिससे राजनीतिक यंत्र ध्वस्त हो जाएगा |” राजनीतिक दल मतदाताओं का मार्गदर्शन करते हैं | वस्तुतः , यदि राजनीतिक दल संगठित न हों तो प्रतिनिधिक सरकार का चलना कठिन होगा | संक्षेप में, राजनीतिक दल ही लोकतंत्र को व्यवहारिक रूप देते हैं लॉर्ड ब्राइस का कथन है, “दल अनिवार्य हैं | कोई भी बड़ा स्वतंत्र देश उनके बिना नहीं रह सकता है |” राजनीतिक दल लोकतंत्र में शिक्षा के साधन हैं | ये जनता को सार्वजनिक प्रश्नों एवं समस्याओं के प्रति जागरुक कहने की शिक्षा देते हैं |  ये जनमत का निर्माण करते हैं | निर्वाचन के समय ये नागरिकों को राजनीतक साहित्य प्रदान करते हैं , उनमें शासन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करते हैं और उनके राजनीतिक कर्तव्यों का बोध कराते हैं भारत भी लोकतंत्र की स्थापना की गई है | अतः , यहाँ राजनीतिक दलों की महत्ता बहुत अधिक है |  

 

 

 

Learn More Chapters         Download PDF

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *