लघु उत्तरीय प्रश्न
- निकट -दृष्टि दोष क्या है ?इसका निवारण किस लेंस से होता है ?
उत्तर – निकट की वस्तुओं का स्पष्ट दिखना , परन्तु दूर की वास्तु का स्पष्ट नहीं दिखना ही निकट – दृष्टि दोष कहलाता है | इसका निवारण अवतल लेंस के चश्में से होता है |
2. प्रकाश के वर्ण – विक्षेपण ( dispersion of light ) का क्या अर्थ है ?
उत्तर – श्वेत प्रकाश प्रिज्म के भीतर से होकर गुजरने पर अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन हो जाता है | श्वेत प्रकाश के विभाजन की इस प्रक्रिया को प्रकाश का वर्ण – विक्षेपण कहते है |
3. इंद्रधनुष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – सूर्य की किरणों का वर्षा की बूँदों द्वारा वर्ण – विक्षेपण के कारण आकाश में अर्द्धवृत्तिय सतरंगी पट्टी दिखाई देती है जिसे इंद्रधनुष कहा जाता है | ये दो प्रकार की होती हैं – प्राथमिक एवम् द्वितीयक | यह आकाश में बना प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है |
4. दृष्टि दोष क्या है ? यह कितनें प्रकार का होता है |
उत्तर – नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबम्ब रेटिना ( retina ) पर बनाने की क्षमता खो सेने को दृष्टि सोश ( defects of vision ) कहते हैं | मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :-
( i ) निकट – दृष्टि दोष ( short sightedness or myopia )
( ii ) दूर – दृष्टि दोष ( far sightedness or hypermetropia )
( iii ) जरा – दूरदर्शिता ( presbyopia )
5. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ? समझाइए |
उत्तर – तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है | हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इस परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है | इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुँचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं |
6. दूर – दृष्टि से आप क्या समझते हैं ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर – दूर – दृष्टि दोष ( Long Sightedness ) – इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं | इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है |
दूर दृष्टि दोष के कारण –
( i ) नेत्र गोलक का छोटा होना |
( ii ) आँख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना या इनकी फोकस दूरी का अधिक हो जाना | बच्चों में यह रोग प्रायः नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है |
दूर दृष्टि दोष को दूर करना – इस दोष को दूर करने के लीए उत्तल लेंस ( Convex lens ) का प्रयोग किया जाता है | इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुए स्पष्ट दिखई देने लगती हैं |
8. स्पेक्ट्रम क्या है ?
उत्तर – जब श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरती हैं तो पर्दे पर फोकसित विभिन्न रंगों के पट्टी स्पेक्ट्रम कहलाती हैं | दुसरे शब्दों में श्वेत प्रकाश के वर्ण – विक्षेपण से प्राप्त प्रकाश की रंगीन पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं |
9. मोतियाबिंद क्या है ? क्या मोतियाबिंद को ठीक करना संभव है ?
उत्तर – कभी -कभी अधिक आयु के कुछ क्याक्यियों के नेत्र का क्रिस्ताकीय लेंस दुधिया तथा धुंधला हो जाता है | इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं इसके कारन नेत्र की द्रष्टि में कमी या पूर्ण रूप से द्रष्टि क्षय हो जाता है | मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के पश्चात् द्रष्टि का वापस लौटना संभव होता है |
10. टिंडल प्रभाव क्या है ? इस प्रभाव के तीन उदाह्हरण दीजिए |
उत्तर – पृथ्वी के चरों ओर वायुमंडल है जिसमें धुल -कण , जलवाष्प आदि उपस्थित हैं | सुक्ष्मकणों का एक विषमंगी मिश्रण है |जब प्रकाश का किरण पुंज ऐसे सूक्ष्मकणों से टकराता है , तो उस किरण पुंज का मार्ग दिखाई देने लगता है | इन कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास तक पहुँचता है | कोलाँइडी कानों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव कहते हैं |
उदहारण –
- धुल या धुएँ से भरे कमरे में किसी छिद्र से प्रवेश करने वाले प्रकाशपुंज में कणों को उड़ते हुए देखना |
- घने जंगलों के वितान ( Canopy ) से सूर्य की किरणों का गुजरना |
- जंगल के कुहासे में जल सूक्ष्म बिंदों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन |
दीर्ध उत्तरीय प्रश्न
- सूर्योदय एवम् सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर – दिन में सूर्य का रंग समय के साथ बदलता रहता है | दोपहर में जब सूर्य सर पर होता है , तो सूर्य का प्रकाश के द्वारा वायुमंडल से होकर पृथ्वी तक आने में तय की गई दूरी न्यूनतम होती है | परन्तु , सूर्योदय ( एवं सूर्यास्त ) के समय सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में अधिक दुरी तय करनी पड़ती है | प्रकाश को पृथ्वी तक आने के क्रम में वायुमंडल में मौजूद अधिक सूक्ष्म कणों से होकर गुजरना पड़ता है , जो मुख्य रूप से नीले रंग को प्र्किर्णित ( scatter ) कर देते हैं | अतः , जो बचा हुआ प्रकाश हमारी आँखों तक पहुंचता है उसमे मुख्य रूप से लाल रंग ही होता है | यही कारण है की सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ ( reddish ) प्रतीत होता है |
2. वर्ण – विक्षेपण क्यों होता है ? चित्र के साथ वर्णन करें |
उत्तर – काँच में प्रकाश के विभिन्न वर्णों की चाल भिन्न -भिन्न होती है | इस कारण उनके लिए काँच का अपवर्तनांक ( refractive index ) भिन्न – भिन्न होता है | जैसे , लाल की अपेक्षा बैगनी वर्ण के प्रकाश की चाल कम होती है जिस काण अपवर्तनांक अधिक होता है चूंकि विभिन्न वर्णों का अपवर्तनांक भिन्न – भिन्न होता है , इसलिए उनका विलयन भी अलग -अलग होता है और इसीलिए वर्ण – विक्षेपण (dispersion ) होता है |
3. किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नील की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर – जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से होकर गुजरता है तो वायु में उपस्थित सूक्ष्म कण लाल के अपेक्षा नील रंग के प्रकाश को अधिक प्रबलता से प्रकिर्णित ( scatter ) करते हैं | यही प्रकिर्णित नीला प्रकाश हमारे नेत्र में प्रवेश करता है जिससे आकाश नीला प्रतीत होता है | याकि पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं होता तो प्रकाश का प्रकीर्णन भी नहीं होता और तब आकाश काला प्रतीत होता | अत्यधिक ऊचाई पर उड़ते हुए अंतरिक्ष – यात्री को आकाश नीली की अपेक्षा काला इसलिए प्रतीत होता है , क्योंकि इतनी अधिक ऊचाई पर प्रकीर्णन के लिए कण उपलब्ध नहीं होते हैं |
4. ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ? इसकी व्याख्या करें |
उत्तर – ग्रह , पृथ्वी से काफी निकट हैं | अतः , ग्रहो को प्रकाश का एक विस्तृत स्रोत ( extended source ) माना जा सकता है जो अनेक बिंदु – आकार के प्रकाश – स्रोतों के समूह हैं | इन सभी बिंदु – आकार के प्रकाश – स्रोतों से हमारे नेत्र पर आनेवाले प्रकाश के कुल परिमाण का औसत मान शून्य होता है | यही कारण है कि ग्रह टिमटिमाते हुए नहीं दिखाई पड़ते हैं | या ,
Sir, pdf download nahin hoga
Sir PDF download nhi ho raha h
Sir long type question ka Q no 6 samajh nahi aa raha hai /Bharti bhawan book ka