परिवहन
परिवहन एक ऐसा तंत्र है, जिसमें यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया और ले जाया जाता है | परिवहन के साधन को “राष्ट्र की जीवन रेखा” कहा गया है |
परिवहन के प्रकार –
स्थल, जल और वायु को मिलाकर भारत में निम्नलिखित पाँच प्रकार के परिवहन तंत्र का विकास किया गया है –
1. स्थल मार्ग
- सड़क मार्ग
- रेल मार्ग
- पाइप मार्ग
2.जलमार्ग
3. वायुमार्ग
- सड़क मार्ग – भारत की गणना विश्व में सबसे सघन सड़क जाल वाले देशों में होती है | भारत में सड़कों का अस्तित्व प्राचीन काल से ही है | स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय सड़कों की कुल लम्बाई 3.88 लाख कि० मी० थी, जो बढ़कर 1990 – 91 में 20.37 लाख कि० मी० , 2000 -01 में 24 लाख कि० मी० और भारत की सड़कों को प्रशासनिक दृष्टि से अग्रलिखित चार श्रेणियों में बाँटा गया है –
1. राष्ट्रिय राजमार्ग (National Highways) –
इनका प्रबंध केन्द्रीय सरकार के हाथ में है | ये राज्यों की राजधानियों एवं अन्य बड़े नगरों को जोड़ते हैं | भारत में राष्ट्रिय राजमार्ग की कुल लम्बाई 92.851 कि० मी० है |
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 – यह दिल्ली से अमृतसर होता हुआ पेशावर (पाकिस्तान) तक जाता है | यह मार्ग दिल्ली, हरियाणा और पंजाब को जोड़ता है |
- राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या 2 – यह ग्रैंड ट्रंक रोड के नाम से मशहूर है | इस मार्ग को शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था | यह कोलकाता से दिल्ली तक जाता है |
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 3 – यह सड़क आगरा से ग्वालियर, इन्दौर और नासिक होती हुई मूम्बई तक जाती है |
- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 4 – यह सड़क चेन्नई से बंगलुरु, बेलगाँव और पुणे होती हुई मुम्बई तक जाती है |
- राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या 5 – यह मार्ग चेन्नई से विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर तथा कटक होता हुआ कोलकाता तक जाता है |
2. प्रांतीय राजमार्ग ( State Highways ) – जो सड़कें विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों को एक दूसरे से तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से प्रांत के विभिन्न स्थानों को मिलाती हैं, उन्हें प्रांतीय राजमार्ग कहा जाता है |
3. जिला स्तरीय या स्थानीय सड़कें (District or Local) – ये जिला स्तर की सड़के हैं, जिनका प्रबंध स्थानीय स्वायत्त पर्षद द्वारा किया जाता है |
4. ग्रामीण सड़कें (Village Roads) – एक गाँव को दूसरे गाँव से जोड़ने वाली सड़कें ग्रामीण सड़कें कहलाती हैं |
5. अन्य सड़कें (Other Roads) –
- सीमान्त सड़कें – क्षेत्रीय विकास, प्रतिरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों की दृष्टि से सामरिक महत्त्व के उत्तरी और उत्तरी पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार की सड़कों का निर्माण हुआ है |
- सुपर राष्ट्रीय महामार्ग – वाहनों को और अधिक तीव्र गति से चलाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों से 14, 846 कि० मी० लम्बी सड़कों का चुनाव किया गया और इन्हें सुपर राष्ट्रीय महामार्ग (6 लेन वाली) कहा गया | इन सडकों के नाम हैं –
- स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) – ये देश के चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ती हैं |
- उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारा (North-South and East-West Corridor) – ये महामार्ग श्रीनगर को कन्याकुमारी (4016 कि० मी०) और सिलचर को पोरबंदर (3640 कि० मी०) से जोड़ते हैं | इसका निर्माण कार्य भी चल रहा है |
- स्वर्णिम चतुर्भुज और गलियारों को दस बड़े पत्तनों से जोड़ने वाले मार्ग – ये महामार्ग विशाखापत्तनम, जवाहर लाल नेहरू पत्तन, मूरामूगाँव, तूतीकोरिन, इन्नौर, चेन्नई, हल्दिया और पारादीप पत्तनों को आपस में जोड़ने का काम करेंगी |
- एक्सप्रेस वे (Express way) – चार लेन वाली इन अत्याधुनिक सडकों में कोलकाता-दमदम राजमार्ग, अहमदाबाद राजमार्ग, मुम्बई पश्चिमी तटीय राजमार्ग शामिल हैं | मुम्बई-पुणे राजमार्ग देश का पहला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का राजमार्ग है |
- रेलमार्ग – भारत में रेलमार्ग अंत: स्थलीय परिवहन की प्रमुख धमनियाँ हैं | बड़े पैमाने पर माल को ढोने तथा बहुसंख्यक यात्रियों को लाने -ले – जाने के लिए ये देश की जीवनरेखाएँ हैं | भारतीय रेल से प्रतिदिन लगभग 1.24 करोड़ यात्री सफल करते हैं |
रेल क्षेत्र – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय रेलों का राष्ट्रीयकरण किया गया और उसे प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा गया | वर्तमान समय में भारत में कुल 16 रेलवे जोन हैं, जिसका विस्तृत विवरण निम्नांकित तालिका की मदद से भी भली भाँती समझा जा सकता है –
पटरियों के बीच की दूरी के अनुसार इस समय भारत में तीन प्रकार के रेलमार्ग हैं, जो इस प्रकार हैं –
- बड़ी लाइनें या ब्रॉडगेज ( 1.676 मीटर ) – लम्बाई 49820 की० मी० जो कुल मार्ग का 74 % है |
- छोटी लाइनें या मीटर गेज या स्मालगेज ( 1.000 मीटर ) – लम्बाई 10621 कि० मी० जो कुल मार्ग का 21 % है |
- संकरी लाइनें ( 0.762 मीटर ) – लम्बाई 2886 कि० मी० जो कुल मार्ग का 5 % है |
समस्याएँ –
रेल परिवहन कई समस्याओं से ग्रसित है | भारत में रेल मार्गों पर 3700 समपार ( क्रॉसिंग ) बिना फाटक ( मानवरहित ) वाले हैं |
3. पाइपलाइन – वर्तमान समय में पाइपलाइनों को बहुउद्देश्यीय उपयोग में लाया जा रहा है | पहले इसका उपयोग शहरों और उद्योगों के लिए पानी आपूर्ति के लिए होता था | आज इसका उपयोग कच्चा तेल तथा प्राकृतिक गैस के परिवहन में भी होता है |
- ऊपरी असम तेल क्षेत्र से लेकर कानपुर (उ० प्र०) तक |
- गुजरात से सलाया से लेकर पंजाब में जालंधर तक |
- गुजरात में हजीरा से लेकर उत्तरप्रदेश में जगदीशपुर तक गैस पाइपलाइन |
4. जलमार्ग ( Waterways ) – भारत में प्राचीन काल से ही जलमार्ग का विशेष महत्त्व रहा है | देश का आन्तरिक व्यापार नदियों के द्वारा तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्रों के द्वारा होता था |
भारत के जलमार्ग, को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
(A) आन्तरिक जलमार्ग , (B) समुद्री जलमार्ग |
(A) आन्तरिक जलमार्ग ( Inland Waterways ) – इसके अन्तर्गत नदियों, नहरों तथा झीलों को सम्मिलित किया जाता है |
भारत में पाँच आन्तरिक जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है | ये निम्नलिखित हैं –
- राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या 1 – इलाहबाद से हल्दिया तक गंगा नदी में 1620 कि० मी० लम्बा |
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 2 – सदिया से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र नदी में 891 कि० मी० लम्बा | इसमें भारत के साथ बंगलादेश की साझेदारी है |
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 3 – कोल्लम से कोट्टापुरम तक, पश्चिमी तट पर केरल में यह नहर मार्ग उद्योगमंडल और चम्पकारा सहित 205 कि० मी० लम्बा है |
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 4 – गोदावरी-कृष्णा नदियों तथा पुडुचेरी-काकीनाड़ा नहर द्वारा आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी तक 1095 कि० मी० लम्बा |
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 5 – उड़ीसा में इस्ट कोस्ट नहर, मताई नदी, ब्राह्मणी नदी एवं महानदी डेल्टा के सहारे 623 कि० मी० लम्बा निर्माणाधीन |
(B) सामुद्रिक जलमार्ग – भारत का सामुद्रिक जलमार्ग प्रचीन काल से ही विकसित है | इसके द्वारा व्यापारिक जहाज विश्व के विभिन्न भागों में जाया करते थे |
- स्वेज नहर जलमार्ग – इस मार्ग पर कांडला, मुम्बई, नावाशिवा, मार्मागोआ तथा कोचीन बन्दरगाह पड़ते हैं |
- केपमार्ग – यह मार्ग भारत को दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के देशों से जोड़ता है | भारत के पश्चिम तटीय बंदरगाहों द्वारा इस मार्ग से कपड़े, मसाले तथा कपास आदि का निर्यात एवं कोयला, चीनी, कपास इत्यादि का आयात होता है |
- सिंगापुर मार्ग – यह मार्ग भारत के पूर्वी तटीय बंदरगाहों को चीन, जापान, न्यूजीलैंड, कनाडा इत्यादि से जोड़ता है |
- आस्ट्रेलिया मार्ग – इस मार्ग से भारत के पूर्वी तटीय बन्दरगाह आस्ट्रेलिया से जुड़े हुए हैं |
5. वायु मार्ग ( Airways ) – वायुमार्ग परिवहन का सबसे तीव्रगामी तथा आरामदायक साधन है, जिससे पर्वतों, मरुस्थलों, महासागरों और जंगलों को बहुत कम समय से आराम से पार किया जा सकता है |
भारत की वायुसेवा दो निगमों द्वारा संचालित होती है –
- एयर इंडिया ( Air India ) यह अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवा प्रदान कराती है | इससे भारत विश्व के अधिकतर देशों से जुड़ा हुआ है |
- इंडियन एयरलाइन्स या इंडियन ( Indian Airlines or Indian ) – यह घरेलू सेवा तथा कुछ पड़ोसी देशों, जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका तथा म्यनमार के लिए वायु सेवा प्रदान करता है |
संचार
संचार एक सेसा माध्यम है जिसके द्वारा हम घर बैठे-बैठे संदेशों का आदान-प्रदान कार लेते हैं |
भारत में संचार के साधनों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं –
- व्यक्तिगत संचार तंत्र |
- जन-संचार तंत्र |
- व्यक्तिगत संचार तंत्र – डाक सेवा, टेलीफोन और इंटरनेट व्यक्तिगत संचार तंत्र हैं | व्यक्तिगत संचार डाक सेवा द्वारा तथा कंप्यूटर समर्थित दूरसंचार द्वारा सम्पन्न होता है |
- जनसंचार तंत्र – राष्ट्रीय कार्यक्रमों और नीतियों के प्रत्ति लोगों में जागरूकता पैदा करने में जनसंचार महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं | यह मनोरंजन का भी एक बढ़िया साधन है | रेडियों, टेलीविजन, समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें तथा फिल्में जनसंचार के महत्त्वपूर्ण साधन हैं |
जनसंचार के दो माध्यम हैं |
- इलेक्ट्रॉनिक माध्यम – रेडियो, टेलीविजन, फ़िल्म प्रदर्शन, कम्प्यूटर |
- मुद्रण माध्यम-प्रकाशन कार्य ( समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तक आदि ) |
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
दो व्यक्तियों या समूहों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को ही व्यापार कहा जाता है | यह दो व्यक्तियों या समूहों के अलावे दो राज्यों या दो देशों के मध्य भी होता है |
आधुनिक वैज्ञानिक युग में कोई भी राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बिना प्रगति नहीं कर सकता है | व्यापार के दो पहलू होते हैं – आयात और निर्यात | अंतर व्यापार संतुलन को निर्धारित करता है |
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