लोकतंत्र की चुनौतियाँ – Bihar Board Class 10th Social Science Question-answer 2023

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. लोकतंत्र की चुनौतियों का अर्थ स्पष्ट करें | 

उत्तर – लोकतंत्र को अनेक समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | इन्हें ही लोकतंत्र की चुनौतियाँ माना जाता है | कठिनाइयों के बावजूद चुनौतियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है | 

2. लोकतंत्र की तीन मुख्य चुनौतियों का उल्लेख करें | 

उत्तर – लोकतंत्र की तीन मुख्य चुनौतियाँ हैं – 

  1. बुनियादी चुनौती, अर्थात लोकतंत्र की स्थापना अथवा लोकतंत्र की वापसी की चुनौती | 
  2. लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती | 
  3. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती | 

इन चुनौतियों का सामना करके ही लोकतंत्र को सफल बनाया जा सकता है | 

3. परिवारवाद क्या है ? 

उत्तर – राजनीतिज्ञों द्वारा अपने परिवार के लोगों के प्रति पक्षपात, राजनीति में उन्हें आगे लाने की प्रवृत्ति, किसी  जनप्रतिनिधि द्वारा खाली किए गए स्थान पर अपने ही परिजनों को बैठाने की प्रवृत्ति परिवारवाद है | 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है ? स्पष्ट करें |  

उत्तर – लोकतंत्र से जनता की एक अपेक्षा यह भी है कि इस शासन व्यवस्था में उसका जीवन सुरक्षित रहे तथा शांति और सुरक्षा का वातारण बना रहे | भाईचारा और सहयोग पर आधृत विकास की प्रक्रिया व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का संबल बने | इन्हीं गुणों के कारण लोकतंत्र एक नैतिक व्यवस्था बनता है | लोकतंत्र में घृणा, द्वेष, ईर्ष्या, स्वार्थ, हिंसा, संघर्ष जैसी प्रवृत्तियों के पनपने से नैतिकता समाप्त हो जाती है | आंतकवाद लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौती है | आतंक से जनता परेशान हो जाती है | आतंक के वातावरण में जनता की जीना कठिन हो जाता है विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है | निगारिकों के बीच भाईचारे का वातावरण प्रभावित होता है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाती है | 

          वर्तमान में नक्सली एवं अलगाववादी गतिविधियाँ भारतीय प्रजातंत्र के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई हैं | पूर्वोत्तर की आंतकवादी और नक्सली गतिविधियाँ अलगाववाद और हिंसा को बढ़ाती हैं | ये राष्ट्र की एकजुटता को प्रभावित करती हैं और लोकतंत्र को कमजोर बनती हैं | 

2. वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र के समक्ष कौन-कौन-सी चुनौतियाँ हैं ? विवेचना करें | 

उत्तर – भारतीय लोकतंत्र के समक्ष दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं – लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती एवं लोकतंत्र को सशक्त बनाने की चुनौती | लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का अर्थ है कि सत्ता में साझेदारी को विस्तृत बनाया जाए | इसी उद्देश्य से भारतीय लोकतंत्र में विकेंद्रीकरण के सिद्धांत को अपनाया गया है | सरकार की सत्ता को कई स्तरों पर बाँट दिया जाता है – केंद्र, राज्य तथा स्थानीय प्रशानिक इकाइयाँ | भारतीय लोकतंत्र में सभी स्तर की संस्थाओं को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है | सत्ता में साझेदारी को विस्तृत बनाने के लिए वंश, लिए, जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा, स्थान आदि के आधार पर भेदभाव समाप्त करने की चुनौती है | इसके लिए भारत में अनेक प्रयास किए गए हैं | पंचायती राज की स्थापना की गई है | शासन-कार्य में लोगों की पंचायती/नगरीय राज संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है | बिहार की पंचायती/नगरीय राज की संस्थाओं में इस आरक्षण का प्रतिशत 50 कर दिया गया है | परंतु, अभी और सुधार की आवश्यकता है | पंचायती राज को और भी सशक्त बनाने की आवश्यकता है | यहाँ पंचायती राज की संस्थाओं के साथ-साथ विधानसभा और लोकसभा में भी महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने की आवश्यकता है | 

       भारतीय लोकतंत्र के समक्ष दूसरी महत्त्वपूर्ण चुनौती लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाने की है | लोकतंत्र में प्रतिनिधियों को उत्तरदायी एवं व्यवहारकुशल बनाने की आवश्यकता सबसे अधिक है | लोकतंत्र का दूसरा नाम प्रतिनिधिक सरकार है | यदि हमारे प्रतिनिधि अपने उत्तरदायित्व के प्रति सचेत नहीं रहेंगे तो भारतीय लोकतंत्र पर खतरे के बादल माँडराते ही रहेंगे | इसके लिए उन्हें उत्तरदायित्व का पाठ पढ़ाना आवश्यक है | सत्ता पर धनी और प्रभावशाली व्यक्तियों के नियंत्रण और प्रभाव को भी कम करना ही पड़ेगा | ऐसा व्यवस्था करनी है जिससे भारतीय लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्मय लिया जा सके | 

3. भारत में लोकतांत्रिक सुधार के किन्हीं चार उपायों का वर्णन करें | 

उत्तर – लोकतंत्र को अन्य शासन-पद्धतियों से श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह अनेक गुणों से परिपूर्ण है | परंतु, ऐसा नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र बिलकुल दोषमुक्त है | इसमें भी अनेक-त्रुटियाँ मौजूद हैं जिन्हें यदि दूर कर दिया जाए तो यह सोने में सुहागा बन जाएगा | भारत में लोकतांत्रिक सुधार के निम्नांकित चार मुख्य उपाय हैं | 

  1. बेरोजगारों को रोजगार – जब तक नागरिकों को काम नहीं मिलता तब तक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता | बोरोजगारों को रोजगार देने की कोशिश की जा रही है | लघु एवं कुटीर-उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है | शिक्षित बेरोजगारों को अपना व्यवसाय आरंभ करने के लिए ऋण की व्यवस्था की गई है | पंचवर्षीय योगनाओं में बोरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है | 
  2. पंचायती राज – लोकतंत्र को समस्याओं का सामना तब करना पड़ता है जब लोग सजग नहीं रहते हैं | सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जाती है | लोगों को शासन के काम में दिलचस्पी लेनी चाहिए | पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है | ग्राम पंचायतें लोकतंत्र के मुख्य आधार हैं | ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र मुख्य आधार हैं | ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है | यह लोकतंत्र की सफलता के लिए शुभ लक्षण है | 
  3. असमानता का अंत – सामाजिक और आर्थिक असमानता दूर करने का भी जोरों से प्रयास चल रहा है | सामाजिक भेदभाव बहुत सीमा तक मिट चुके हैं | अमीर-गरीब के आर्थिक समानता लाकर ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सकता है | इससे भी सामाजिक भेदभाव मिट रहे हैं | 
  4. नागरिकों में राजनीतिक सजगता – लोगों में राजनीतिक सजगता बढ़ी है | देश में निर्वाचन का दौर बराबर चलता रहा है | इससे लोग राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं | रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र के माध्यम से लोग सरकार के प्रतिदिन के कामों के बारे में जानने लग गए हैं | प्रेस स्वतंत्रता से समाचारपत्र भी निष्पक्ष होते जा रहे हैं | 

 

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