लघु उत्तरीर प्रश्न
- पौधों में गैसों का आदान-प्रदान कैसे होता है ?
उत्तर – पौधों में गैसों का आदान-प्रदान उनके पत्तियों में उपस्थित रंध्र ( stomata ) के द्वारा होता है | उनमें CO2 एवं O2 का आदान-प्रदान विसरण-क्रिया द्वारा होता है, जिसकी दिशा पौधों की आवश्यकता एवं पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है |
2. किण्वन किस प्रकार का श्वसन है ? यह कहाँ होता है ?
उत्तर – किण्वन एक प्रकार का अवयाविय श्वसन है, जिसमें यीस्ट द्वारा पयारुवेट को एथेनॉल एवं CO2 में परिवर्तित कर दिया जाता है | यह यीस्ट कोशिकाओं के द्वारा जाइमेज एंजाइम के स्त्राव के फलस्वरूप संपन्न होता है |
3. श्वसन की परिभाषा दें |
उत्तर – श्वसन उन सभी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को कहते हैं जिसमें ऑक्सीजन ग्रहण कर इसका उपयोग कोशिकीय ईंधन ( ग्लूकोस ) के ऑक्सीकरण में किया जाता है | इसके फलस्वरूप मुक्त ऊर्जा ATP के रूप में जमा होती है | कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं |
4. रंध्र और वातरंध्र क्या हैं ? श्वसन में इनकी क्या भूमिका है ?
उत्तर – पौधों की पत्तियों की सतह पर पाए जानेवाले सुक्ष्मछिद्रों को रंध्र कहते हैं, जबकि पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा पर मृत कोशिकाओं के बीच पाए जानेवाले छिद्रों को वातरंध्र कहते हैं | रंध्र और वातरंध्र दोनों ही पादपों में ऑक्सीजन के प्रवेश द्वार होते हैं | विसरण-क्रिया द्वारा पौधों में श्वसन-गैसों का आदान-प्रदान इन्हीं छिद्रों द्वारा होता है |
5. लगातार दौड़ने से व्यक्ति की पेशियों में दर्द क्यों होता है ?
उत्तर – लगातार दौड़ने से हमारे शरीर में ऊर्जा का खपत अधिक होता है | इस दौरान ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में घट जाती है | ऑक्सीजन के अभाव में हमारी पेशियों में पयारुवेट लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है | यह लैक्टिक अम्ल अधिक मात्रा में हमारी पेशियों में संचित हो जाती है | इस कारण हमारी पेशियों में दर्द होने लगता है |
6. श्वासनली या ट्रैकिया क्या है ?
उत्तर – श्वासनली या ट्रैकिया द्वारा श्वसन कीटों यथा टिड्डा तथा तिलचट्टा में होता है | ट्रैकिया शरीर में भीतर स्थित अत्यन्त शाखित हवा भरी नलिकाएँ हैं जो एक ओर सीधे उत्तकों के संपर्क में होती है तथा दूसरी ओर शरीर की सतह पर श्वास रंध्र नामक छिद्रों के द्वारा खुलती है | यह कोटों का श्वसन अंग है |
7. मछलियों में गिल्स कहाँ अवस्थित होते हैं ?
उत्तर – गिल्स मछलियों में पाया जानेवाला एक विशेष प्रकार का श्वसन अंग है | मछलियों में गिल्स दो समूहों में पाये जाते हैं | गिल्स के प्रत्येक समूह सिर के पाशर्व भाग में आँख के ठीक पीछे स्थित होते हैं | प्रत्येक समूह में कई गिल्स आगे से पीछे की ओर श्रृंखलाबद्ध तरीके से व्यवस्थित होते हैं | प्रत्येक गिल एक चाटी थाली में स्थित होता है जिसे गिल कोष्ठ कहते हैं | गिल कोष्ठ एक ओर आहारनाल की ग्रसनी में खुलता है तथा दूसरी ओर शरीर के बाहर खुलता है | प्रत्येक गिल कोष्ठ में कई गिल पतालिकाएँ होती हैं | मछलियाँ गिल्स से ही जल में घुले ऑक्सीजन को ग्रहण करता है |
8. श्वसोच्छ्वास क्या है ?
उत्तर- श्वसन की दोनों अवस्थाएँ प्रश्वास एवं उच्छवास को सम्मिलित रूप से श्वासोच्छ्वास कहलाती हैं | नासिका द्वारा हवा को फेफड़े तक पहुँचाना है जहाँ ऑक्सीजन रक्त कोशिकोओं में चला जाता है तथा रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड बची हवा के साथ बहार निकल जाता है इस क्रिया को स्वसोच्छ्वास या साँस लेना कहते हैं |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. मनुष्य में श्वसन-क्रिया का वर्णन करें |
उत्तर – मनुष्य में श्वसन-क्रिया, प्रश्वास ( inspiration ) तथा उचाछ्-वास ( expiration ) क्रियाओं का सम्मिलित रूप है | प्रश्वास-क्रिया में हवा नासिका से फेफड़े तक पहुँचाती है उचाछ्-वास-क्रिया में रक्त से फेफड़े में आया कार्बन डाइऑक्साइड बची हवा के साथ नासिका से बहार निकल जाता है | प्रश्वास के द्वारा हवा फेफड़ों की वयुकोष्ठिकाओं में पहुँच जाती है | वायुकोष्ठिकाओं के चारो ओर रक्त कोशिकाओं का घना जाल होता है | वायुकोष्ठिकाओं में स्थित हवा में करीब 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होता है जबकि रक्त केशिकाओं में स्थित शिरिय रक्त ( venous blood ) में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है | इस कारण ऑक्सीजन का विसरण शिरिय रक्त में हो जाता है | यहाँ रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन संयोग कर ऑक्सीहिमोग्लोबिन नामक यौगिक बनाता है, जो रक्त परिसंचरण के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँच जाता है | यहाँ ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुन: टूटकर हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सीजन का निर्माण करता है | यह ऑक्सीजन कोशिकाओं में उपस्थित ग्लोकोस का ऑक्सीकारण कर कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऊर्जा का निर्माण करती है | कोशिकाओं में निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड पुन: विसरण के द्वारा रक्त कोशिकाओं के रक्त में पहुँचता है | यहाँ यह रक्त के हीमोग्लोबिन से संयोग कर कर्बोक्सीहिमोग्लोबिन का निर्माण करता है जो फेफड़ो में विसरण द्वारा वायुकोष्ठिकाओं में चला जाता है, जहाँ से उच्छ्-वास-क्रिया के द्वारा इसे निकाल दिया जाता है |
2. गिल्स द्वारा श्वसन किस प्रकार होता है ? सचित्र समझाएँ |
उत्तर – मछलियों में गिल्स विशेष प्रकार के श्वसन अंग हैं जो जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग श्वसन के लिए करते हैं | प्रत्येक मछली में गिल्स दो समूहों में पाए जाते हैं | प्रत्येक समूह में कई गिल्स आगे से पीछे की ओर सृखालाबध्द तरीके से व्यवस्थित होते हैं | हर गिल एक चपटी थैली में स्थित होता है जिसे ‘गिल कोष्ठ’ कहते हैं | प्रत्येक गिल कोष्ठ में कई गिल पटलीकाएँ होती हैं |
मछलियों में जल की धारा मुख से आहारनाल के फेरिंक्स में पहुँचाती है जहाँ जल की धारा में स्थित भोजन तो फेरिंक्स से ग्रसनी में चल जाता है, परन्तु जल अंत: क्लोम रंध्रो द्वारा गिल कोष्ठों में तथा फिर बाह्य क्लोम रंध्रों द्वारा शारीर के बहार चला जाता है | इस प्रकार, लगातार गिल्स जल के संपर्क में रहते हैं जिससे जल में घुले ऑक्सीजन गिल्स की रक्त वाहिनियों में स्थिर रक्त में चला जाता है तथा रक्त का CO2 जल में चला जाता है | इस प्रकार श्वसन गैसों का आदान-प्रदान रक्त और जल के बीच विसरण के द्वारा होता रहता है |
3. अवयावीय एवं वायवीय श्वसन के विभेदों को स्पष्ट करें |
उत्तर –
अवयावीय श्वसन | वायवीय श्वसन |
i. अवयावीय श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिती में होता है| | i. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है | |
ii. इस श्वसन की पुरी क्रिया कोशिका द्रव में होती है | | ii. इस क्रिया का प्रथम चरण कोशिका द्रव्य में तथा द्वितीय कॉन्ड्रीया चरण माइटो में होता है | |
iii. इसमें ग्लूकोज का आंशिक ऑक्सीकरण होता है | | iii.इसमें ग्लूकोज ऑक्सीकरण के पश्चात् होता है | |
iv. इसमें ऑक्सीकरण के पश्चात् पयारुवेट इथेनॉल या लैक्टिक अम्ल का निर्माण करता है तथा CO2 निकलता है | | iv. इसमें ग्लूकोज ऑक्सीकरण के पश्चात कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल का निर्माण होता है | |
v. इसमें कम ऊर्जा मुक्त होती है | | v. इसमें अधिक ऊर्जा मुक्त होती है | |