विधुत – धारा ( Electric Current )-Bihar Board Class 10th Science Subjective 2023

लघु उत्तरीय प्रश्न 

  1. किसी बिंदु पर विधुत विभव से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर – किसी बिंदु पर विधुत विभव कार्य का वह परिमाण है जो प्रति एकंक ( इकाई ) आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है |

       2. विधुत धारा , विभावांतर एवं प्रतिरोध की परिभाषा दें | इनके S.I. मात्रक भी लिखें | 

उत्तर – विभवान्तर ( Potential difference ) – एकांक धन आवेश को बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में जितना कार्य करना पड़ता है वह उन दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर कहलाता है | इसका S.I. मात्रक वोल्ट ( V ) है | 

                विधुत धारा ( Electric current ) -आवेश के प्रवाहित होने के दर को विधुत धारा कहते हैं | इसका S.I. मात्रक ऐम्पियर ( A ) है | 

               प्रतिरोध ( Resistance ) – प्रतिरोध केसी चालक का वह गुण है जिसदे कारण वह चालक से होकर विधुत धारा प्रवाहित होने का विरोध करता है | इसका S.I. मात्रक ओम (Ω) होता है |  
             
         3. किसी तार का प्रतिरोध 1Ω है | इस कथन का क्या अर्थ है | 

उत्तर – किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट ( V ) का विभवान्तर लगाने से चालक में 1 ऐम्पियर ( A ) की धारा प्रवाहित हो , तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम ( Ω) कहा जाता है | 

        4. ऐमिटर एवम् वोल्टमीटर के उपयोग बताएँ | 

उत्तर – जिस यंत्र द्वारा किसी विधुत परिपथ की धरा मापी जाति है , उसे ऐमीटर ( Ammeter ) कहा जाता है | 

जिस यंत्र द्वारा किसी विधुत – परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच के विभवान्तर को मापा जाता है , उसे वोल्टमीटर  ( Voltmeter ) कहा जाता है |  
             5. प्रतिरोध क्या है | इसका SI मात्रक लिखें | 

उत्तर – किसी चालक का प्रतिरोध R उसके सिरों के बीच विभवान्तर V  और , उसमें प्रवाहित धारा I का अनुपात है | 

               अर्थात् R = V/I 

              इसका SI मात्रक वोल्ट ( V ) है | 

             6. विधुत – धारा के ऊष्मीय प्रभाव किन कारकों पर निर्भर करता है

उत्तर – विधुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है | विधुत – धारा के ऊष्मीय प्रभाव निम्न कारकों पर निर्भर करता है – 

  1.      प्रतिरोधकता – प्रथिरोधाकता बहुत अधिक हो , ताकि इसके साधारण लम्बाई एवं मोटाई वाले तार का प्रतरोध अधिक हो और इसमें कम धारा प्रवाहित होने पर भी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके |
  2. गलनांक – गलनांक अत्यधिक उच्च हो , ताकि इनमें प्रबल धारा ( heavy current ) प्रवाहित होने पर उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से तापन अवयव पिघले नहीं |   

        7. विधुत – परिताथ में प्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं ? 

उत्तर – प्यूज तार सूक्ष्म की एक युक्ति है | विधुत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथान के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिताथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती हैं | ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ – तहाँ प्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं | प्यूज ऐसे पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है , तो सबसे पहले प्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है, जिससे उसमें लगी युक्तियों तथा बल्ब , पंखे , हीटर आदि जलने से बच जाते हैं |

        8. विधुत आवेश किसे कहते हैं ? 

उत्तर – वह आतंरिक कारक जो पदार्थो में आकर्षण का गुण उत्पन्न कर देता है | विधुत आवेश कहलाता है | जब एक पदार्थ को दुसरे पदार्थ से रगड़ा कटा जाताहै  तो दोनों पदार्थो पर विधुत आवेश उत्पन्न होते हैं | 

        9. कुलाँम का नियम लिखें | 

उत्तर – दो आवेश के बीच लगाने वाला बल उन आवेशों के परिमाण के गुणनफल के अनुत्क्रमनुपाती और उनके बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है | माना एवं  दो आवेश हैं तथा उनके बीच लगने वाला बल F तथा उनके बीच की दूरी r हो, तो 

       ( जहाँ K = समनुपातिकता स्थिरांक है ) 

           10. विभव और विभवान्तर में क्या अंतर है ? 

उत्तर – किसी आवेश के कारण उत्पन्न विधुत क्षेत्र में एकांक धनात्मक आवेश ( unit positive charge ) को अनंत ( जहाँ पर विभव शून्य मन जाता है ) से किसी बिंदु तक लेन में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विभव ( potential ) कहते है विभव का SI मात्रक वोल्ट ( V ) होता है | 

         किसी आवेश के कारण उतपन्न विधुत – क्षेत्र में एकांक धनात्मक आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक लेन में किए गए कार्य को उन दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर ( potential difference ) कहते है | विभवान्तर का भी SI मात्रक वोल्ट ( V ) होता है जो जूल प्रति कुलाँम ( J/C ) के बराबर होता है | 

          11. विधुत बल्ब में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है ? 

उत्तर – यदि विधुत बल्ब में लगे फिलामेंट ( तंतु ) से हवा – माध्यम में विधुत – धारा प्रवाहित की जाए , तो यह हवा के ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर भंगुर हो जाएगा और टूट जाएगा | इसलिए फिलामेंट को टूटने से बचाने के लिए काँच के बल्ब के अंदर की हवा को निकलकर निष्क्रिय गैस भर दी जाती है | गैसो को निम्न  दाब पर भरा जाता है जिससे कि संवहन द्वारा ऊष्मा की हानि न्यूनतम हो | 

                12. विधुत – बल्ब का नामांकित चित्र बनाइए | 

उत्तर –

               13. किसी विधुत – परिपथ में लघुपथन कब होता है ? 

उत्तर – जब विधुत परिपथ में तारो के ऊपर के विधुतारोधी परत ख़राब या क्षतिग्रस्त हो जाते है तब वे आपस में संपर्क में आ जाते हैं | ऐसा होने पर परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है और विधुत – परिपथ में बहुत अधिक धारा प्रवाहित होने लगती है जिससे स्पार्क उत्पन्न हो सकता है | इसे लघुपथान ( short circuiting ) कहते हैं |   

                14. विधुत – परिपथ में अतिभारण ( overloading ) का क्या अर्थ है ? 

उत्तर – यदि किसी विधुत – परिपथ में लगे उपकरणों द्वारा खींची गई बिधुत – धारा , उस परिपथ में उपयोग में लाए गए तारो के महत्तम धारा प्रवाहित करने की क्षमता से अधिक हो जाती है तो अतिभारण उत्पन्न होता है | अतिभारण के कारण तार गर्म हो जाता है | 

               15. फ्यूज किस मिश्रधातु का बना होता है ? इसकी क्या विशेषता होती है ? 

उत्तर – फ्यूज ( तार ) जस्ता या लेड ( सीसा ) और टिन का मिश्रधातु का बना होता है | 

          फ्यूज तार की विशेषता  – फ्यूज ( तार ) की विशेषता यह होती है कि इसकी प्रतिरोधकता अधिक और गलनांक कम होता है | इसलिए , जब बिधुत – परिपथ में अचानक विधुत – धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तब विधुत – धारा से उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा फ्यूज के तार को पिघला देती है और विधुत – परिपथ टूट जाता है | इससे परिपथ में लगे विभिन्न उपकरण जलने से बच जाते हैं |   
         


  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

            1. प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा से आप क्या समझते हैं ? इनमें अंतर स्पष्ट करें | 

उत्तर – जिस धारा की दिशा समय के साथ चालक में बदलती हो ( सीधी एवं विपरीत क्रमवार होती हो ) उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते है | जिसकी दिशा  सदा एक ही बनी रहती हो उसे दिष्ट धारा कहते हैं | 

  1.  प्रत्यावर्ती धारा का मान परिवर्ती होता है जबकि दिष्ट धारा का मान अचर या चर दोनों होता है |
  2. प्रत्यावर्ती धारा द्वारा वैधुत ऊर्जा को ट्रांसफॉर्मर द्वारा दूर प्रेषित किया जा सकता है ; अचर दिष्ट धारा को ट्रांसफ़ॉर्मर द्वारा प्रेषित नहीं किया जा सकता है |   

             2.  20Ω प्रतिरोध की कोई विधुत इस्तरी 5 A विधुत – धारा लेती है | 30 s में उत्प्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए | 

उत्तर – प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा का मान , H =  I²Rt 

                        प्रश्नानुसार , I = 5 A , R = 20 Ωतथा t = 30 s , H = ?

                       मान रखने पर , H = ( 5 A )²  ( 20 ) ( 30 s )                
                                                           = 25 x 20 x 30 j

                                                               = 15000 j
                                                             = 1.5  k J 
                              इस्तरी में उत्पन्न ऊष्मा 1.5 k J है |                           



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