लघु उत्तरीय प्रश्न
1.लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है | कैसे ?
उत्तर – लोकतंत्र में जनता मतदान करती है, अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा शासन चलती है और यह शासन जनहित में काम करते हुए जनता के प्रति उत्तरदायी होता है |
2. लोकतंत्र की सफलता के मूल्यांकन के कौन-कौन आधार हैं ?
उत्तर – उत्तरदायी शासन व्यवस्थ, वैध शासन, आर्थिक असमानता में कमी, विविधताओं में समंजस्य, नागरिकों की गरिमा में वृद्धि आदि कोकतंत्र की सफलता के मूल्यांकन के प्रमुख आधार हैं |
3. लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ? भारत में किस तरह का लोकतंत्र है ?
उत्तर – लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ होता है | लोकतंत्र का अँगरेजी शब्द ‘डेमोक्रेसी’ दो यूनानी शब्दों – ‘डेमोस’ और ‘क्रेशिया’ से बना है, जिनका अर्थ क्रमशः ‘जनता’ और ‘शासन’ है | स्पष्ट है की व्युपत्पत्ति की दृष्टि से लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ हुआ | लिकतंत्र के दो प्रकार हैं – प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष | भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.लोकतंत्र कैसे एक उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है ?
उत्तर – लोकतंत्र एक उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है | लोकतंत्र में जनता ही शासकों का निर्वाचन करती है और उनपर नियंत्रण भी रखती है | उत्तरदायी रहकर काम नहीं करनेवाली सरकार को जनता अगले निर्वाचन में हटा देती है | इसलिए, प्रत्येक सरकार के लिए आवश्यक होता है कि वह जनता की समस्याओं का समाधान करे | जनता की इच्छा और भावना का आदर करे | शासक यह समझे कि जनता सरकार से क्या चाहती है, अन्यथा सरकार को अपदस्थ कर दिया जा सकता है |
लोकतंत्र एक वैध सरकार का गठन करता है | इसके समस्त निर्णय क़ानूनी प्रक्रिया से लिए जाते हैं | कार्यों के संपादन की भी निर्धारित प्रक्रिया होती है | इससे बाहर जाने और मनमानेपन पर न्यायपालिका की नजर होती है | जनता को विरोध करने की शक्ति होती है इसलिए, लोकतंत्र में पारदर्शिता रहती है |
2. भारत में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है ?
उत्तर – भारत में लोकतंत्र की सफलता के लिए निम्नांकित शर्तें आवश्यक हैं |
- जनता की जागरूकता – ‘सजगता प्रजातंत्र का आधार’ है | जनता की जागरूकता, सतर्कता तथा अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति अभिज्ञता इसकी सफलता की शर्तें हैं |
- सामंजस्यपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश – भारत में हर क्षेत्र में विषमता वर्तमान है | सामंजस्यपूर्ण समाज और सहमति आधारित लोकतंत्र की स्थापना के लिए इन्हें दूर करना होगा |
- अशिक्षा की समाप्ति और नागरिक गुणों का विकास – अशिक्षा की समाप्ति के बिना न तो प्रजातंत्र की कीमत समझी जा सकती हैं, न ही मताधिकार का सही प्रयोग संभव हो सकता है | शिक्षा के व्यापक प्रसार के द्वारा नागरिक गुणों का विकास किया जा सकता है |
- लोकतांत्रिक गुणों का विकास – समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व जैसे सिद्धांतों की स्थापना करके लोकतंत्र के विकास के मार्ग की बाधाओं को दूर करना होगा |
- नैतिक मूल्यों की स्थापना – जीवन के हर क्षेत्र में नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठित कर लोकतंत्र को स्वार्थ, द्वेष और अन्य बुराइयों से मुक्त करना होगा |
- अन्य शर्तें – निष्पक्ष प्रेस, सामाजिक-आर्थिक समानता, बेरोजगारी पर नियंत्रण तथा पंचायती/नगरीय राज व्यवस्था को और मजबूत बनाकर हम लोकतंत्र को सफल, बना सकते हैं |
3. लोकतंत्र किस तरह आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है ?
उत्तर – लोकतंत्र जनता के प्रति उत्तरदायी और जनसमस्याओं के प्रति संवेदनशील शासन है | यह आर्थिक विषमता की जगह सामाजिक न्याय, शोषण से मुक्त एक सुखी, गरिमापूर्ण और अभावहीन जीवन को अपना लक्ष्य मानता है | आर्थिक संवृद्धि और चहुँमुखी विकास लोकतंत्र का लक्ष्य है | परंतु, आर्थिक और विकास को लोकतंत्र नैतिक दृष्टि से भी देखता है |
केवल कुल राष्ट्रीय उत्पाद और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि को लोकतंत्र आर्थिक संवृद्धि और विकास नहीं मनाता है, बल्कि एक न्यायपूर्ण सामाजिक-आर्थिक जीवन, एक गरिमापूर्ण जीवन की स्थिति प्रदान करना इसका लक्ष्य है | इसलिए, शोषण से मुक्ति, अशिकतम रोजगार का सृजन, अवसर की समानता, उत्पादन में वृद्धि, संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण, पूँजी के केन्द्रीकरण को रोकना, आर्थिक समानता, राजनीतिक स्वतंत्रता और संस्कृतिक सामंजस्य लोकतंत्र के उद्देश्य हैं | समावेशी विकास को लोकतंत्र ने अपने विकास का सिद्धांत बनाया है अतः , गरिमापूर्ण आर्थिक संवृद्धि और समावेशी विकास की दिशा में लोकतंत्र तेजी से प्रगति कर रहा है |