लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परागण किसे कहते हैं ? वर्षा होने पर परागण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर – परागकणों के परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दुसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण ( pollination )कहते हैं | वर्षा होने पर वर्तिकाग्र पर पहुँचे परागकण भी झड़ जाते हैं जिससे परागण की क्रिया नहीं हो पाती है |
2. कायिक प्रवर्धन क्या है ?
उत्तर – जनन की उस प्रक्रिया को, जिसमें पदाप-शरीर का कोई वर्धी भाग ( जड़, तना, पत्ती आदि ) विलग एवं परिवर्धित होकर नए पौधे का निर्माण करता है, कायिक प्रवर्धन कहते हैं | जन्तुओं के विपरीत पौधों में जनन की यह सबसे सरल और लाभप्रद विधि है |
3. मुकुलन और खंडन में क्या अंतर है ?
उत्तर – मुकुलन में देहभित्ति से एक उभर निकलता है, जो धीरे-धीरे वृद्धि कर मुकुल का रूप धारण कर लेता है, उदाहरण हाइड्रा | जबकि खंडन में जब शरीर के टुकड़े हो जाते हैं, तो प्रत्येक टुकड़ा अलग-अलग वृद्धि कर वयस्क का रूप धारण कर लेता है |
4. स्त्री में होनेवाले लैंगिक चक्र को समझाएँ |
उत्तर – स्त्री में यौवनारंभ या प्युबर्टी सामान्यत: 10-12 वर्ष की आयु में प्रारंभ होता है, अर्थात् इस उम्र में स्त्री में जनन-क्षमता प्रारंभ हो जाती है तथा आतंरिक जननांगों में कुछ चक्रीय क्रियाएँ होती हैं, जिसे मासिक चक्र या रजोधर्म या मासिक स्त्राव कहते हैं | यह चक्र 28 दिनों तक चलता है | सामान्य स्थिति में प्रत्येक 28 दिन पर इसकी पुनरावृत्ति होती है |
5. पुनर्जनन में क्या होता है ?
उत्तर – यह जनन की एक विधि है | इस जनन में जीवों का शरीर किसी कारण से दो या अधिक टुकड़ो में खंडित हो जाता है तथा प्रत्येक खण्ड अपने खाये हुए भागो का विकास कर पूर्ण विकसित नये जीवों में परिवर्तित हो जाता है और सामान्य जीवन-यापन करता है | इस प्रकार के जनन स्पाइरोगाइरा हाइड्रा तथा प्लेनेरिया आदि में होता है |
6. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर – जनन एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं | एक समष्टि में जन्मदर एवं मृत्युदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं | जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लीगों के लिए चिंता का विषय है | इसका मुख्या कारण यह है की बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन-स्तर में सुधार लाना आसान कार्य नहीं है | अतः जनसंख्या बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण रखना जरुरी है | इसिलिए गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनानी चाहिए |
7. विखंडन क्या है ? यह कितनी विधियों से होता है ?
उत्तर – पूर्ण विकसित जीव जब दो भागों में विभाजित हो जाता है तब उसे विखंडन कहते हैं | यह एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो सामान्यत: दो विधियों द्वारा संपन्न होता है – द्विखंडन एवं बहुखंडन | उदाहरण, अमीबा एवं अन्य एककोशिकीय जंतु |
8. बिजाणुजनन किस प्रकार होता है ?
उत्तर – कवक, मॉस, शैवाल आदि में बीजाणु-निर्माण अलैंगिक जनन की मुख्य विधि है | इस प्रकार के जनन में बीजाणु का निर्माण अधिकांशत: बिजाणुधानियों में होता है | ये बहुत छोटे, हलके और काफी मोटी भित्तिवाले होते हैं | अनुकूल परिस्थितियों में ये अंकुरित होकर नए पौधे को जन्म देते हैं |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई पाँच अंतर लिखें |
उत्तर – लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में पाँच अंतर निम्नांकित हैं |
लैंगिक जनन | अलैंगिक जनन |
i. इसमें अर्द्धसूत्री विभाजन होता है | | i. इसमें अर्द्धसूत्री विभाजन नहीं होता है | |
ii. इसमें युग्मक ( gamete ) का संयोग होता है | | ii. इसमें युग्मक ( gamete ) का संयोग नहीं होता है | |
iii. इसमें युग्मनज ( zygote ) निर्माण होता है | | iii. इसमें युग्मनज ( zygote ) का निर्माण नहीं होता है | |
iv. यह प्रायः उच्चकोटि के बहुकोशिकीय जीवों में पाया जाता है | | iv. यह प्रायः निम्नकोटि के सरलतम जीवों में पाया जाता है | |
v. लैंगिक जनन से जीवों में विविधता उत्पन्न होती है | | v. अलैंगिक जनन से जीवों में विविधता उत्पन्न नहीं होती है | |
2. निषेचन क्या है ? पुष्पी-पौधों में निषेचन की क्रिया का सचित्र वर्णन करें |
उत्तर – परागण के दौरान परागकणों के वर्तिकाग्र तक पहुँचने के बाद निषेचन की क्रिया होती है | इस क्रिया में परागकण वर्तिकग्र की सतह से पोषक पदार्थ अवशोषित कर वृद्धि करता है | वर्तिकग्र द्वारा स्त्रावित रसायन के प्रभाव से परागकण से परागकण से परगनलिका निकलती है | परगनलिका के सिरे पर एक विशेष प्रकार का किण्वक ( enzyme ) निकलता है जो वर्तिकाग्र के ऊतकों को गला देता है, और नलिका आसानी से बढकर वर्तिका से होते हुए बीजांड में प्रवेश करती है, जहाँ परगनलिका से दो नर-युग्मक निकलते हैं, जिसमें एक बीजांड में अवस्थित मादा-युग्मक ( अंडकोशिका ) से संगलित होकर द्विगुणित ( diploid ) युग्मनज बनता है जो बाद में विकसित होकर भ्रूण का निर्माण करता है, तथा दूसरा द्विगुणित सेकेंडरी केन्द्रक से संगलित होकर ट्रिप्लॉनयड ( triploid ) भ्रूणपोष ( endosperm ) केन्द्रक का निर्माण करता है | पौधों में पाए जानेवाले इस प्रकार के निषेचन को द्विनिषेचल ( double fertilization ) कहा जाता है |
3. मानव जनसंख्या-नियंत्रण के लिए व्यवहार में लाए जानेवाले विभिन्न उपायों का वर्णन करें |
उत्तर – मानव जनसंख्या को सिमित रखना, जनसंख्या-नियंत्रण कहलाता है, जो आज के समय की एक चुनौतीपूर्ण समस्या है | इस वैज्ञानिक युग में इसके लिए व्यवहार में निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा रहा है | i. प्राकृतिक विधि – इस विधि में संभोग के समय का समंजन कर अंडाणु-निषेचन को रोककर गर्भाधान से बचा जा सकता है | ii. यांत्रिक विधि – इनमें पुरुषों द्वारा कंडोम एवं स्त्रियों द्वारा डायफ्राम, कॉपर-T तथा लूप जैसे परिवार नियोजन के साधनों का प्रयोग किया जाता है | iii. रासायनिक विधि – इसमें शुक्राणुओं को मरनेवाले रसायन ( spermicides ) एवं संश्लेषित एस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टे रॉन हॉर्मोन की गर्भ-निरोधक गोलियाँ ली जाती है, जिससे आन्दोत्सर्ग-क्रिया बाधित होती है और गर्भधान नहीं हो पाता | iv. सर्जिकल विधियाँ – इसके तहत पुरुष नशाबंदी ( vasectomy ) एवं स्त्री नसबंदी ( tubectomy ) एवं MTP ( गर्भ का चिकित्सकीय समापन ) जैसे शल्य-क्रियाओं का उपयोग किया जाता है | v. सामाजिक जागरूकता – जनसंख्या-वृद्धि के भयावह परिणामों के प्रति समाज को जगारुकर कर जनसंख्या-नियंत्रण हो सकता है |
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