लघु उत्तीय प्रश्न
- आदि-औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – इंगलैंड और यूरोप के कारखानों की स्थापना के पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े स्तर पर किया गया उत्पादन आदि-औद्योगिकीकरण कहलाता है |
2. अठारहवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग कौन-कौन-से थे ?
उत्तर – इस समय मुख्य उद्योग वस्त्र उद्योग था | साथ ही, हस्तकला एवं शिल्पकला उद्योग भी विकसित थे |
3. निरुद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – अँगरेजी सरकार के औद्योगिक नीतियों से भारतीय उद्योगों का विनाश हुआ | इसे ही निरुद्योगीकरण कहा जाता है |
4. स्वदेशी आंदोलन का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उतर – विदेशी वस्तुओं, वेशेषकर वस्त्रों का बहिष्कार हुआ तथा स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन में तेजी आई |
5. सरकार ने औद्योगिक आयोग की नियुक्ति कब की ? इसका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर – इसकी नियुक्ति 1916 में की गई इसका उद्देश्य भारतीय उद्योग और वयापार से संबद्ध क्षेत्रों का पता लगाना था जिसे वित्तीय सहायता दि जा सके |
6. स्वदेशी आंदोलन का उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – 1905 के बंग-भंग आंदोलन में स्वदेशी और बहिष्कार की नीति से भारतीय उद्योग लाभान्वित हुए | धागा के स्थान पर कपड़ा बनाना आरंभ हुआ | इससे वस्त्र उत्पादन में तेजी आई | 1912 तक सूती वस्त्र उत्पादन दोगुना हो गया | उद्योगपतियों ने सरकार पर दबाव डाला कि वह आयत-शुल्क में वृद्धि करे तथा देशी उद्योगों को रियायत प्रदान करे | कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त अन्य छोटे उद्योग का भी विकास हुआ |
7. स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई ? अथवा, गंदी वस्ती ( स्लम पद्धति ) से आप क्या समझते हैं ? इसकी शुरुआत क्यों और कैसे हुई ?
उत्तर – कराखानेदारी प्रथा के विकास के साथ स्लम पद्धति ( गंदी बस्ती ) आरंभ हुई | रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में श्रमिक अपना गाँव-घर छोड़कर कारखानों के निकट शहरों में बसने लगे | वहाँ उनके निवास की व्यवस्था नहीं थी | अतः उन्हें रैनबसेरों, तेनेमेंट्स और चौलों में रहना पड़ा | ये अस्वास्थ्यकर और गंदी बस्तियाँ थीं | इस प्रकार, औद्योगिकीकरण और कराखानेदारी ने स्लम पद्धति को जन्म दिया |
8. औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – औद्योगिक क्रांति का अर्थ उत्पादन प्रणाली में हुए उन आधारभूत परिवर्तनों से है जिनके फलस्वरूप जनसाधारण को अपनी परंपरागत कृषि, व्यवसाय एवं घरेलू उद्योग-धंधों को छोड़कर नए प्रकार के उद्योगों में काम करने तथा यातायात के नविन साधनों के प्रयोग का अवसर मिला | यह क्रांति सर्वप्रथम इंगलैंड में 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई | उद्योगों में मानव श्रम का स्थान मशीनों ने ले लिया |
9. घरेलू और कुटीर-उद्योग को परिभाषित करें |
उत्तर – घरेलू और कुटीर-उद्योग स्थानीय स्तर पर चलाए जाते हैं | इनमें अपेक्षाकृत कम पूँजी और श्रम लगता है | गाँधीजी के अनुसार, ये भारतीय सामाजिक दशा के अनुकूल हैं | ये राष्ट्रिय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | ये सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति तथा संतुलित क्षेत्रवार विकास के शक्तिशाली औजार हैं |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- कुटीर-उद्योगों के महत्त्व एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालें | अथवा, भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर-उद्योगों का क्या महत्त्व था ? प्राप्ति के बाद सरकार ने इनके विकास के लिए क्या प्रयास किए ?
उत्तर – औद्योगिकीकरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर-उद्योगों का महत्त्व बना रहा | 1905 के बंग-भंग और स्वदेशी आंदोलन ने कुटीर-अद्योगों को पुनर्जीवित कर दिया | गाँधीजी के विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के निति से भी कुटीर-उद्योगों को बढ़ावा मिला | दो विश्वयुद्धों के मध्य कुटीर-उद्योग में उत्पादित वस्तुओं के उत्पादन और माँग में वृद्धि हुई | क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक जीवन में कुटीर-उद्योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे | ये लाखों लीगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करते हैं | उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तथा राष्ट्रीय आय का समान वितरण भी सुनिश्चित करते हैं | कुटीर-उद्योगों से शिल्पियों एवं कारीगरों के शहरों की ओर पलायन पर अंकुश लगता है | इनमें निर्मित वस्तुओं के निर्यात से भारत का व्यापार बढ़ता है | गाँधीजी के अनुसार “कुटीर-उद्योग भारतीय सामाजिक दशा के अनुकूल हैं |”
स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारत सरकार और राज्य सरकारों ने इनके महत्त्व को देखते हुए इन्हें प्रोत्साहन देने के लिए अनेक प्रयास किए हैं | 1948 की औद्योगिक नीति के द्वारा लघु एवं कुटीर-उद्योगों को बढ़ावा दिया गया | 1952 – 53 में लघु उद्योगों एवं ग्रामीण को प्रोत्साहन देने के लिए हथकरघा, सिल्क खादी, नारियल के रेशे आदि के लिए ग्रामीण उद्योग बोर्ड स्थापित किए गए 1980 औद्योगिक नीति घोशाणापत्र में कृषि-आधारित उद्योगों को विकसित करने पर बल दिया गया |
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