लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जल के किन्हीं चार मुख्य उपयोगों को लिखें |
उत्तर – ( i ) घरेलू उपयोग ( ii ) अग्निशमन हेतु उपयोग ( iii ) मत्स्यपालन में उपयोग ( iv ) सिंचाई हेतु उपयोग
2. जलाभाव के मुख्य दो कारण बताएँ |
उत्तर – ( i ) जनसंख्या -वृद्धि से जल की माँग में वृद्धि ( ii ) नकदी फसलों की खेती में अधिक जल की खपत |
3. नदियों के जल प्रदूषित होने के कोई दो कारण लिखें |
उत्तर – ( i )औद्योगिक अपशिष्टों का नदियों में गिराया जाना ( ii ) शहरी मलजल एवं कचरे का नदियों में गिराया जाना |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ” जल एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन है |” कैसे ?
उत्तर – जल के बिना जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है | जल की आवश्यकता मानव के अलावा पेड़ – पैधों , फसलों , जीव – जंतुओं एवं उद्योगों को भी है | घरेलू जीवन के साथ – ही – साथ उद्योगों में जल के अनेक उपयोग हैं | जल से न केवल जल यातायात में वृद्धि होती है , बल्कि इससे सस्ती विधुत भी उत्पन्न की जाती है | जलाशयों एवं नदियों के जल से सिंचाई का काम भी लिया जाता है | इसके अतिरिक्त इनसे जिलों , राज्यों एवं देशों के बीच सीमा का निर्धारण होता है | इन महत्ताओं से स्पष्ट है कि जल एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन है |
2 . सोन अथवा कोसी नदी -घाटी परियोजना के महत्त्व पर प्रकाश डालिए |
उत्तर – बिहार की प्रसिद्ध नदी सोन पर देहरी -ऑन – सोन के पास बाँध बनाकर पूर्व -पश्चिम दोनों ओर नहरें निकाली गई हैं | इससे 10 किलोमीटर ऊपर हटकर इंद्रपुरी में एक बराज बनाया गया है | जहाँ से निकाली गई नहरों द्वारा औरंगाबाद , भुभुआ , सासाराम , गया तथा पटना जिले में सिंचाई की जाती है | यह परियोजना बिहार के दक्षिणी – पश्चिमी भाग में बसनेवाले कृषकों के लिए वरदान साबित हुई है |
अथवा , कोसी नदी – घाटी परियोजना बिहार – नेपाल की सीमा पर स्थित है | हनुमाननगर में बाँध बनाया गया है | इस परियोजना से नदी के दोनों ओर नहरें निकाली गई हैं और जलविधुत उत्पन्न करने के लिए शक्तिगृह बनाए गए हैं |
3. जल संरक्षण के कुछ उपाय लिखें |
उत्तर – जल संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं |
- वर्ष – जल संचय की विधि को अपनाना |
- शुद्ध जल के दुरुपयोग को रोकना |
- जलाशयों का निर्माणकर जल एकत्र करना |
- भूमिगत जल के उपयोग हेतु कानून बनाना |
4. इंदिरा गाँधी नहर परियोजन का संक्षिप्त वर्णन करें |
उत्तर – इंदिरा गाँधी नहर संसार की सबसे लम्बी नहर है | मुख्य नहर की लम्बाई लगभग 500 km है | रावी और ब्यास का जल सतलज नदी में गिराकर तथा पंजाब के फिरोजपुर के निकट ‘हरिके बराज ‘ बनाकर इससे नहर निकाली गई है | अपनी शाखाओं – प्रशाखाओं सहित इस नहर की कुल लम्बाई 9,423 km है जिसे विभिन्न चरणों में पूरा किया गया है | इस नहर के निर्माण से पंजाब , हरियाणा एवं राजस्थान के पश्चिम भाग में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है |